In this chapter, He goes deeper into the subject. In the beginning, He discusses faith as an inseparable aspect of human nature and says that everyone holds faith. However, depending upon the nature of their mind, their faith adapts a corresponding color: sāttvic, rājasic, or tamasic. The quality of life they lead is determined by the nature of their faith, including the food they prefer to eat. He also classifies food into three categories and discusses the impact of each category upon humans.
इस सत्रहवें अध्याय में श्रीकृष्ण विस्तारपूर्वक गुणों के प्रभाव के संबंध में बताते हैं। सर्वप्रथम वह श्रद्धा के विषय पर चर्चा करते हैं और यह बताते हैं कि कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जो श्रद्धा विहीन हो क्योंकि यह मानवीय प्रकृति का एक अविभाज्य स्वरूप है लेकिन मन की प्रकृति के अनुसार व्यक्तियों की श्रद्धा सात्विक, राजसिक अथवा तामसिक गुणों के अनुरूप होती है
Reviews
There are no reviews yet.