Knowledge of Absolute

This chapter begins with Shree Krishna describing the material and spiritual dimensions of God’s energies. He explains that similar to beads strung on a single thread, all these energies have originated from Him and rest in Him. The entire creation begins and dissolves into Him. Although it is very difficult to overcome His material energy Maya, those who surrender to Him can easily cross over it by His grace.

यह अध्याय भगवान की शक्तियों के भौतिक और आध्यात्मिक आयामों के वर्णन के साथ आरम्भ होता है। श्रीकृष्ण व्यक्त करते हैं कि ये सब उन्हीं से प्रकट होते हैं और धागे में गुंथे मोतियों की भाँति उनमें स्थित रहते हैं। वे समूची सृष्टि के स्रोत हैं और ये सब उन्हीं में पुनः विलीन हो जाते हैं। उनकी प्राकृत शक्तिमाया पर विजय प्राप्त करना अत्यंत दुष्कर है लेकिन वे जो भगवान के शरणागत हो जाते हैं वे उनकी कृपा प्राप्त करते हैं और इस पर सरलता से विजय पा लेते हैं।

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